Monday, April 6, 2020

आओ संकल्प करें, आहवाहन करें, पृथ्वी को पावन करें



कैसा समय आ गया....
ज़मीन वही, आसमान वही;
उड़ते हुए पंछियो की चहचहाहट भी वही, पर;
चंद लोगों की गन्दी फ़ितरत की वजह से सब ओर मची है तबाही;
डरते सहमे लोग, गिरते पड़ते लोग, रोते-बिलखते लोग,   
फिर भी कहां सुधरते हैं लोग।
आज कोरोना है कल E bola था, परसों कुछ और होगा;
दंगे हैं, फ़साद है, बीमारी है तो कभी क़त्ले आम हैं; 
डरते रहने से सुलझती नहीं मुश्किलें;
मरना तो है एक दिन, पर आदर्शों पर जी के मरे।
समय आ गया है देवी रणचंडी के आहवाहन का;
आओ सभी संकल्प लें, यज्ञ करें;
मज़बूत करें अपनी वैदिक संस्कृति को, निभाएं अपने धर्म को; 
जिसने सदियों सदियों से मानव को संभाला है, बुरे पथ से बचाया है;
क्यों न इसको विजय करें? नाश करें उन विनाशकारी शक्तियों का;
आओ संकल्प करें, रणचंडी का आहवाहन करें,;
सजग रहें, समर्थ रहें, एकता से जुटे रहें; 
पावन पृथ्वी की नीव को मज़बूत करें। 

© By Pranati Saikia

No comments:

Post a Comment